भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण जानकारी
भारत के प्रधानमंत्री
संविधानके अनुसार अनुच्छेद 74के भाग प्रथम में यह व्व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति का सहयोग करने और उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा, राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार से तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित होती है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति
संविधान में किसी भी प्रधानमंत्री का कार्यकाल निर्धारित होता है। प्रधानमंत्री के संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन इस प्रकार हैं:
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केन्द्रीय सरकारका एक मंत्री परिषद होगा जिसके मालिक प्रधानमंत्री होंगे।
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प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी
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और किसी भी मंत्री की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
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जब तक राष्ट्रपति का मन है तभी तक मंत्री अपने पद पर बने रहेंगे।
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कोई एक मंत्री जो 6 माह तक किसी लगातार संसद का सदस्य नहीं है तो वह मंत्री पद पर बने रहने के लिए अयोग्य होगा।
शक्तियां और कार्य
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री के कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं और प्रधानमंत्री अपने लाभ के लिए प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हैं। वह राष्ट का मुख्य कार्यकारी या प्रधान होता है और केंद्र सरकार के मालिक के रूप में कार्य करता है।
- सरकार का मुखिया – राष्ट्रपति देश के मुखिया होते है, और प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होते हैं। सभी प्रकार के निर्णय मंत्री परिषद और प्रधानमंत्री की बात बिमर्श के बाद राष्ट्रपति के नाम पर लिये जाते हैं। यहां तक वह प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार ही और सभी मंत्रियों को नियुक्त करते हैं।
- कैबिनेट अथवा मंत्रिमंडल अध्यक्ष – अपनी नियुक्तिकरण के बारे में वही राष्ट्रपति से सिफारिश करता है कि कौन क्या है, वह मंत्रियों के बीच विभिन्न विभागों का आवंटन और अदल बदल करता है। वह मंत्री परिषद की अध्यक्षता करता है और उनके निर्णय को प्रभावित करता है। प्रधानमंत्री मंत्री मंडल किसी भी सदस्य को त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है या राष्ट्रपति से किसी भी मंत्री को हटाने की सिफारिश कर सकता है। यदि प्रधानमंत्री की गुजर जाये या त्यागपत्र हो जाता है तो पूरा मंत्री मंडल बिघटित हो जाता है।
- राष्ट्रपति और मंत्री मंडल के मध्य संबंध अथवा कड़ी – संविधान के अनुच्छेद 78 में प्रधानमंत्री के कर्तव्य वर्णित हैं और उनके पालन के लिए वह राष्ट्रपति और कैबिनेट के बीच में कार्य करता है।
वह ऐसे मामलों पर कार्य करता है:
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केंद्र के के बारे में शासन और कानून के लिए सभी प्रस्तावों से संबंधित मंत्री परिषद के सभी प्रकार के निर्णयों पर बात– बिवाद करते समय,
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जब मंत्री परिषद में किसी मंत्री द्वारा किसी भी निर्णय पर विचार बिमर्श करने के लिए संविधान के किसी भी धारा या संविधान परिषद की अनुमति नहीं ली जाती है तब राष्ट्रपति इस तरह के मामलों पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री से सवाल करता हैं।
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जब राष्ट्रपति संसद के मामलों या और किसी भी बातों का या प्रशासन के बारे में कोई भी जानकारी मांगते हैं।
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संसद का नेता – एक नेता के रूप में संसद सत्र के लिए अपनी बैठक और कार्यक्रम के तिथियों का निर्धारित करता है। यह निर्णय भी करता है कि कब सदन का सत्रावसान किया जाय या उसे विघटित किया जाए। एक मुख्य वक्ता के रूप में वह सरकार के प्रमुख नीतियों की घोषणा करता है और उसके बाद सवालों के जवाब देता है।
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विदेशी संबंधों में मुख्य प्रवक्ता – अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में वह अपने देश का प्रवक्ता होता है।
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पार्टी का नेता – पार्टी के सदस्यों का अध्यक्ष ही पार्टी का नेता होता है ।
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विभिन्न आयोगों का अध्यक्ष– प्रधानमंत्री होने के कारण वह सभी आयोगों का सही अध्यक्ष होता है जैसे– योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर–राज्यीय परिषद, राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद।
गठबंधन सरकार में कार्य
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राज्य की गतिविधियों के एक विशेष उद्देश्य का हल निकालने के लिए एक अस्थायी समय के लिए दो या दो से अधिक अलग–अलग पार्टी के व्यक्तियों के एक साथ आने को एक गठबंधन में प्रवेश करना कहते हैं।
एकल पार्टी सरकार में शक्तियां
जब चुनाव का समय आता है तो चुनावों में एकपार्टी पूरी तरह बहुमतप्राप्त कर लेता है तब राष्ट्रपति उस दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में सरकार बनाने और कार्य करने के लिए आमंत्रित करते हैं। संविधान एस प्रकार से उल्लेख है कि इस तरह के मामलों में प्रधानमंत्री के पास बिना प्रतिबंधों के साथ सभी अधिकार होते है । इस प्रकार, इस तरह की सरकार अधिक स्थिर होती है।
अल्पसंख्यक सरकार में भूमिका
संसदीय संसदीय नियमो के अनुसार अल्पसंख्यक मत सरकार का गठन तब होता है जब एक राजनीतिक पार्टी या पार्टियों के गठबंधन के पास संसद में कुल सीटों का बहुमत नहीं होता है, तीन सभाओ द्वारा लोकसभा चुनाव परिणामों को तोड़ने के लिए और दलों के बाहरी समर्थन द्वारा एक सरकार शपथ लेती है। ऐसी परिस्थिति में अन्य दलों के समर्थन के से ही कानून पारित किया जा सकता है। यह सरकार बहुमत वाली सरकार की अपेक्षा में कम स्थिर होती है।
राजनीतिक इतिहास में इसका एक बेहतरीन उदाहरण नरसिंहा राव की सरकार रही है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी नहीं होता है की कि किसी भी पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री होगा बल्कि वह सभी सदस्यों द्वारा चुना गया गया कोई भी व्यक्ति हो सकता है। ऐसे में सरकार कानून को पास कराने के लिए अन्य दलों पर निर्भर रहती है। गठबंधन औरअल्पसंख्यक मत सरकार के बीच अंतर यह है कि गठबंधन सरकार में विपक्षी दल एक समझौते का निर्माण कर सकते हैं जिसके द्वारा उन्हें सरकार पर नियंत्रण करने की अनुमति प्राप्त हो जाती है।
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची (अभी तक)
- जवाहरलाल नेहरू 1947- 1964
- गुलजारी लाल नंदा 1964- 1964
- लाल बहादुर शास्त्री 1964- 1966
- गुलजारी लाल नंदा 1966- 1966
- इंदिरा गांधी 1966- 1977
- मोरारजी देसाई 1977- 1979
- चरण सिंह 1979- 1980
- इंदिरा गांधी 1980- 1984
- राजीव गांधी 1984- 1989
- विश्वनाथ प्रताप सिंह 1989- 1990
- चंद्रशेखर 1990- 1991
- पी वी नरसिंह राव 1991- 1996
- अटल बिहारी वाजपेयी 1996- 1996 (16 दिन)
- एच डी देवगौड़ा 1996- 1997
- आई के. गुजराल 1997- 1998
- अटल बिहारी वाजपेयी 1998- 2004
- नरेंद्र मोदी 2014 से अभी तक
इसे भी देखे :👉 भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय
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